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मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव में वोटों की गिनती जारी है. राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह इस पद की रेस में एक बार फिर शामिल हैं. हिंद महासागर के इस छोटे से द्वीप के चुनाव पर भारत और चीन दोनों की निगाहें हैं क्योंकि दोनों ही देशों के लिए रणनीतिक रूप से यह अहम है.
रिपोर्टों के मुताबिक इस चुनाव में राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को राजधानी के मेयर मोहम्मद मुइज़्ज़ु के कड़ी चुनौती मिल रही है.
शुरुआती अनुमानों के मुताबिक़ क़रीब 60 फ़ीसद योग्य मतदाताओं ने इस चुनाव में अपने हक़ का इस्तेमाल किया है.
मोहम्मद मुइज़्ज़ु को उस गठबंधन का समर्थन प्राप्त है जिसके चीन के साथ घनिष्ठ संबंधों का रिकॉर्ड है.
चुनाव में मोइज्ज़ु की एंट्री तब हुई जब अगस्त के महीने में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को मनीलॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार देते हुए उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
अब्दुल्ला यामीन साल 2013 से 2015 तक मालदीव की सत्ता में थे. तब उन्होंने चीन के साथ मालदीव के संबंधों की वकालत की थी.
इब्राहिम सोलिह ने भारत के साथ पारंपरिक रूप से क़रीबी रिश्ते की बहाली पर ज़ोर दिया है.
अगर इस चुनाव में किसी भी प्रत्याशी को 50 फ़ीसद से अधिक वोट नहीं मिले तो 30 सितंबर को दोबारा वोट डाले जाएंगे.
बता दें कि मालदीव हिंद महासागर में स्थित वो देश है जो रणनीतिक दृष्टिकोण से भारत और चीन दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. साथ ही इन दोनों देशों ने यहां भारी निवेश भी कर रखा है.
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मोहम्मद मुइज़्ज़ु
मालदीव की राजनीति और भारत से संबंध
भारत और मालदीव के बीच छह दशकों से अधिक पुराने राजनयिक, सैन्य, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं.
हिंद महासागर में यह ऐसे भौगोलिक जगह पर है कि यह भारतीय और चीनी रणनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण है.
मालदीव को लंबे अरसे से भारत से आर्थिक और सैन्य मदद मिलती रही है.
1965 में ब्रिटेन से आज़ादी मिलने के बाद शुरू में यहां राजशाही रही और नवंबर 1968 में इसे गणतंत्र घोषित कर दिया गया.
मालदीव की स्वतंत्रता के बाद से ही भारत ने उसके सामाजिक-आर्थिक विकास, आधुनिकीकरण और समुद्री सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में मदद की है.
दोनों देशों के रिश्ते तब और घने हो गए जब 80 के दशक के दौरान मालदीव की सत्ता पर आसीन मोमून अब्दुल गयूम के ख़िलाफ़ तख़्तापलट की कोशिशों को निरस्त करने के लिए ‘ऑपरेशन कैक्टस’ चलाया.
2008 में मालदीव ने नए संविधान को स्वीकार किया और पहली बार यहां राष्ट्रपति के लिए चुनाव हुए जिसमें गयूम हार गए और मोहम्मद नशीद सत्ता में आए.
इसके बाद से यहां लगातार सत्ता के लिए संघर्ष चला है.
नशीद केवल चार साल तक ही सत्ता में रहे और 2012 में उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा.
2013 में चुनाव हुए. पहले दौर में नशीद को अधिक वोट मिले लेकिन कोर्ट ने उन्हें अवैध घोषित कर दिया.
दूसरे दौर के चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति के सौतेले भाई अब्दुल्ला यामीन को जीत मिली.
ये वही दौर था जब भारत के साथ मालदीव के संबंधों में तल्खी आई और चीन के साथ उसकी निकटता बढ़ी.
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9 सितंबर को हुए मतदान में इब्राहीम सोलिह वोट डालते हुए
हालांकि 2018 में इब्राहीम सोलिह जब एक हज़ार से अधिक द्वीपों वाले मालदीव के राष्ट्रपति बने तो उन्होंने तुरंत ही ‘इंडिया फ़र्स्ट’ नीति अपनाते हुए भारत के साथ अपने बिगड़े संबंधों में सुधार पर काम करने का प्रयास किया.
इस नीति के तहत आर्थिक और सैन्य मामलों में भारत को तरजीह दी जाने लगी. उसी दौरान भारत ने मालदीव को एक डॉनियर मेरिटाइम सर्विलांस एयरक्राफ़्ट तोहफे में दिया. भारत ने मालदीव के पायलट, इंजीनियर को इसके लिए ट्रेनिंग देने पर भी सहमति बनाई.
हालांकि दूसरी तरफ़ प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ़ मालदीव (पीपीएम) और पीपल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) के विपक्षी गठबंधन ने यह मांग तेज़ कर दी कि मालदीव से भारत की मौजूदगी ख़त्म होनी चाहिए.
अक्टूबर 2020 में इन दोनों दलों ने आधिकारिक रूप से पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के नेतृत्व में भारत विरोधी अभियान ‘इंडिया आउट’ शुरू किया.
उन्होंने ‘इंडिया आउट’ अभियान के नेतृत्व के साथ जनता के बीच भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने का काम किया.
मालदीव में भारत विरोधी अभियान को लेकर राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह की सरकार ने चिंता जाहिर की. मालदीव के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया कि “भारत को लेकर फ़ैलाए जा रहे झूठ और नफ़रत को लेकर सरकार चिंतित है.”
2021 में भारत ने मालदीव में 45 से अधिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकास योजनाओं में भागीदारी की. अगस्त 2021 में भारत और मालदीव के बीच ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट पर हस्ताक्षर हुए जिसके तहत भारत को उसे 500 मिलियन डॉलर की मदद देना था.
मार्च 2022 में भारत ने मालदीव में दस कोस्टल रडार सिस्टम स्थापित किए. मालदीव के द्वीप अद्दु में पुलिस अकादमी की शुरुआत करने में भी भारत ने उसकी मदद की.
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मोहम्मद नशीद
चीन के कर्ज़ में डूबा मालदीव
जिस तरह से मालदीव भारत के लिए महत्वपूर्ण है उसी तरह चीन के लिए भी यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. चीन लगातार मालदीव में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है. उसने वहां बड़े निवेश किए हैं.
2016 में मालदीव ने चीन को अपना एक द्वीप महज 40 लाख डॉलर में 50 सालों के लिए लीज़ पर दी थी. मालदीव ने चीन के वन बेल्ट वन रोड योजना का भी खुल कर समर्थन किया है.
चीन की मालदीव में मौजूदगी उसकी हिंद महासागर की रणनीति का हिस्सा है.
माना जाता है कि मालदीव पर चीन का क़रीब एक बिलियन डॉलर का क़र्ज़ है जो चीन ने वहां की इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाओं में लगाए हैं.
कॉपी: अभिजीत श्रीवास्तव