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कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी
भारतीय जनता पार्टी ने अब से कुछ घंटे पहले सोशल मीडिया पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर अपनी बहन प्रियंका गांधी के साथ ‘अन्याय करने’ का आरोप लगाया है.
बीजेपी ने अपने एक्स (ट्विटर) हैंडल पर लिखा है, “एक आम भाई-बहन जैसा नहीं है राहुल गांधी और प्रियंका का रिश्ता. प्रियंका राहुल से तेज़ हैं पर राहुल के इशारे पर ही पार्टी नाच रही है, सोनिया गांधी भी पूरी तरह राहुल के साथ हैं. घमंडिया गठबंधन की मीटिंग से प्रियंका का ग़ायब होना यूँ ही नहीं है. वीडियो में देखिये, कैसे बहन का इस्तेमाल सिर्फ चुनाव प्रचार के लिए किया जा रहा है.”
बीजेपी ने इसके साथ ही 5 मिनट 36 सैकेंड का वीडियो भी साझा किया है जिसे टीवी पर आने वाली ख़बरों के अंदाज़ में बनाया गया है.
इसमें उन सभी बातों का ज़िक्र है जिनके आधार पर बीजेपी ने गांधी परिवार पर प्रियंका गांधी का ‘तिरस्कार’ करने का आरोप लगाया है.
इस वीडियो में मुख्य रूप से तीन दावे किए गए हैं –
- गांधी परिवार ने अब तक प्रियंका को चुनाव नहीं लड़ने दिया
- प्रियंका गांधी ‘इंडिया’ गठबंधन के कार्यक्रमों से गायब
- प्रियंका गांधी ने राहुल गांधी को नहीं बांधी राखी
क्या ये योजनाबद्ध अभियान है?
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी
इस वीडियो में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की कुछ तस्वीरों और वीडियो को इस्तेमाल किया गया है.
इसमें से दो क्लिप्स ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दिनों की हैं जिसमें से एक क्लिप में राहुल गांधी प्रियंका गांधी को गले लगाते दिख रहे हैं.
वहीं, दूसरी क्लिप कर्नाटक चुनाव के बाद की है जिसमें राहुल गांधी प्रियंका गांधी का हाथ पकड़ने की कोशिश करते दिख रहे हैं.
इन वीडियो क्लिप्स और वॉइस ओवर के ज़रिए ये दिखाने और जताने की कोशिश की गई है कि राहुल और प्रियंका के बीच सबकुछ ठीक नहीं है.
इस वीडियो को बीजेपी से जुड़े और समर्थित लोगों ने एक्स (ट्विटर) पर साझा किया है.
इसके साथ ही कई ग्राफ़िक्स भी जारी किए जा रहे हैं. इन ट्वीट्स और वीडियोज़ को देखकर संकेत मिलते हैं कि ये सब एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता है.
क्योंकि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के बीच दरार होने की सुगबुगाहट से जुड़ा ये पहला वीडियो नहीं था.
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी बहन प्रियंका गांधी और उनके पति रॉबर्ट वाड्रा के साथ
इससे पहले 29 अगस्त को बीजेपी ने तीन मिनट लंबा वीडियो जारी किया था जिसे इस पंक्ति “कांग्रेस में राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा में वर्चस्व की लड़ाई… माँ ने पकड़ा बेटे का हाथ”, के साथ शेयर किया गया है.
इस वीडियो में सोनिया गांधी पर राहुल गांधी को तरजीह देने का आरोप लगाया गया है.
इसमें प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा का वो इंटरव्यू साझा किया गया है जिसमें वह कह रहे हैं, “वह संसद में बहुत अच्छा करेंगी और उन्हें वहां होना चाहिए. मैं निश्चित रूप से उन्हें वहां देखना चाहूंगा. मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस पार्टी उन्हें स्वीकार करेगी और उनके लिए बेहतर योजना बनाएगी.”
कांग्रेस ने किया पलटवार
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कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत
बीजेपी की ओर से किए जा रहे इस तरह के ट्वीट्स पर कांग्रेस पार्टी ने भी पलटवार किया है.
इस मामले में प्रियंका गांधी ने ट्वीट करके लिखा था, “बीजेपी वालों, महंगाई और बेरोजगारी के इस दौर में यही बकवास मुद्दा बचा है? सॉरी….मगर आपके छोटे दिमाग का यह सपना कभी साकार नहीं होगा. मेरे भाई और मेरे बीच एक दूसरे के प्रति सिर्फ़ प्रेम, विश्वास, आदर और वफ़ादारी है और हमेशा के लिए रहेगी. वैसे घबराओ मत, आपके झूठ, लूट और खोखले प्रचार के अहंकार को हम दोनों बहन-भाई – देश के करोड़ों बहन-भाईयों के साथ मिलकर तोड़ेंगे.”
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने लिखा है, “प्रियंका गांधी और राहुल गांधी एक दूसरे की सबसे बड़ी ताक़त हैं. उन्होंने जीवन में जो एक साथ झेला है उससे उनका रिश्ता फ़ौलादी है. पारिवारिक संबंधों पर भाजपा को नहीं बोलना चाहिए क्योंकि फिर हम ना चाहते हुए भी कुछ कटु सत्य उन्हीं की भाषा में समझायेंगे और आईना दिखायेंगे.”
इसके साथ ही श्रीनेत ने साढ़े चार मिनट लंबा वीडियो भी साझा किया है.
इस वीडियो में कांग्रेस प्रवक्ता कह रही हैं, “कहा गया कि राहुल जी राखी नहीं बांधते. राहुल जी ने न सिर्फ इस साल राखी बांधी है. बल्कि वो अपनी बंधी हुई राखी को पूरे साल उतारते नहीं हैं. या तो वो टूट जाती है या वो रक्षा बंधन तक बंधी रहती है. ये बात उन्होंने खुद कही है. इस साल भी उन्होंने राखी बांधी. इसका उल्लेख उन्होंने कर्नाटक में गृहलक्ष्मी योजना के कार्यक्रम के दौरान किया. आप तो बड़ा मैग्नीफाइंग ग्लास लेकर ढूंढ़ते हैं राहुल गाँधी जी को…देखिएगा हाथ में राखी नज़र आएगी. हर बार नज़र आएगी.”
इतनी बात कहने के बाद कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने पीएम मोदी की निजी ज़िंदगी पर टिप्पणियां की हैं.
कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के बीच रक्षा बंधन मनाए जाने को लेकर स्पष्टीकरण दिया है.
लेकिन कांग्रेस पार्टी की ओर से इंडिया गठबंधन के कार्यक्रमों में प्रियंका गाँधी की ग़ैर-मौजूदगी और उनके अब तक चुनाव नहीं लड़ने पर भी कोई टिप्पणी नहीं की है.
यही नहीं, कांग्रेस पार्टी की छत्तीसगढ़ शाखा ने अपने आधिकारिक अकाउंट से पीएम मोदी को लेकर अभद्र टिप्पणी की है.
क्या है राजनीतिक गणित?
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भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी
इसके बाद सोशल मीडिया पर ऐसे तमाम वीडियो और तस्वीरों की बाढ़ आई हुई है जिनमें जवाहर लाल नेहरू से लेकर कांग्रेस पार्टी और बीजेपी के शीर्ष नेताओं के ‘चरित्र हनन’ की कोशिश की जा रही है.
लेकिन सवाल उठता है कि बीजेपी और कांग्रेस की ओर से एक-दूसरे पर इस तरह ‘कीचड़ उछालने’ के राजनीतिक मायने क्या हैं.
कांग्रेस पार्टी को बरसों से कवर कर रशीद किदवई इसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और राजनीतिक हताशा का प्रतीक मानते हैं.
वह कहते हैं, “ये सब कुछ दुर्भाग्य की बात है क्योंकि लोकतंत्र में, विशेष रूप से महिलाओं के संदर्भ में इस तरह की बातें नहीं की जानी चाहिए. लेकिन इस समय समस्या ये आ रही है कि बीजेपी और कांग्रेस के बीच सामान्य शिष्टाचार का भी अभाव है. इस वजह से हर तरह के बेतुके और बेसिर पैर के बयान लगाए जा रहे हैं. ये कहना कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की राजनीतिक सोच में अंतर है…यहां तक तो ठीक है.
लेकिन गरिमा का ध्यान रखना चाहिए. लेकिन साल 2014 के बाद से राजनीतिक दलों के बीच कटुता बहुत ज़्यादा बढ़ गयी है. उस कटुता के चलते लोग और उनका जो पूरा ईको-सिस्टम होता है. उसमें बहुत सी बातें ऐसी कही जाती हैं जो सार्वजनिक रूप से नहीं कहनी चाहिए.”
लेकिन सवाल उठता है कि क्या इस अभियान की वजह राजनीतिक है?
रशीद किदवई कहते हैं, “इस तरह की बातचीत से राजनीतिक रूप से कोई नफ़ा-नुकसान नहीं होता. ये सिर्फ हताशा का प्रतीक है. ये दिखाता है कि राजनीति में स्तर कितना गिर चुका है. और इसके लिए बीजेपी ही नहीं दोनों राजनीतिक दल ज़िम्मेदार है. अब आप अगर सवाल पूछेंगे कि ये सब क्यों किया जाता है तो इसका जवाब प्रतिस्पर्धा है. मतलब…गाली क्यों दी जाती है. पहले एक पक्ष देता है, फिर दूसरा पक्ष देता है तो ये प्रतिस्पर्धा जैसा है. इसके पीछे कोई राजनीतिक गणित नज़र नहीं आता.”
प्रियंका गांधी की इंडिया गठबंधन की बैठकों में ग़ैर-मौजूदगी पर किदवई कहते हैं, “अगर वो वहां मौजूद होतीं तो कहा जाता कि पूरा परिवार मंच पर मौजूद है. ऐसे में कुछ तो कहा ही जाएगा. और रही बात चुनाव लड़ने की तो ये उनका अपना फ़ैसला है. ये क्यों दावा किया जा रहा है कि उन्हें लड़ने नहीं दिया गया. क्या ये संभव नहीं है कि उन्होंने लड़ने का फ़ैसला न किया हो.”
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बीजेपी के दावों में कितना दम?
लेकिन सवाल उठता है कि बीजेपी की ओर से उठाए गए इन दावों में कितना दम है. क्योंकि बीजेपी ने जो तीन दावे किए हैं, उनमें से दो दावे तथ्यात्मक रूप से सही हैं.
भारतीय राजनीति को बीते तीन दशकों से देख रहीं वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी इसे बेहद चिंताजनक मानती हैं.
वह कहती हैं, “एक पार्टी की ओर से दूसरी पार्टी की कमजोरियों का फायदा उठाना लाज़मी है. ये सवाल वाजिब हैं कि प्रियंका इंडिया गठबंधन की बैठकों में क्यों नज़र नहीं आईं. और वो अब तक संसद क्यों नहीं पहुंची जबकि दूसरे लोग राज्यसभा के रास्ते संसद पहुंच चुके हैं. ऐसे में वह क्यों नहीं पहुंची जबकि वह पार्टी के लिए चुनाव प्रचार से लेकर तमाम अहम ज़िम्मेदारियां निभाती हैं.
ऐसे में ये सवाल तो वाजिब हैं. और ये भी सब जानते हैं कि कांग्रेस में राहुल और प्रियंका दो अलग-अलग गुट हैं. ऐसे में ये संभव है कि सोचा गया हो कि रॉबर्ट वाड्रा के बयान को भुनाकर प्रियंका खेमे में अगर किसी तरह का असंतोष हो तो उसे हवा दी जाए. लेकिन ऐसा करते हुए इतना नीचे गिर जाना बेहद चिंताजनक है. और ऐसा दोनों तरफ़ से हुआ है. लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है. ये काफ़ी परेशान करने वाला है.”
ये ख़बर लिखे जाते वक़्त सोशल मीडिया पर कांग्रेस और बीजेपी समर्थित सोशल मीडिया यूज़र्स की ओर से एक दूसरे के नेताओं पर आपत्तिजनक बयानबाज़ी किए जाने का सिलसिला जारी है.