नई दिल्लीएक घंटा पहले
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पुणे में एल्गर परिषद सभा 31 दिसंबर 2017 को हुई थी। पुलिस के मुताबिक, इसकी फंडिंग नक्सलियों ने की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव केस में 28 जुलाई को दो आरोपियों वेरनन गोंजाल्वेस और अरुण फरेरा को जमानत दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दोनों आरोपियों को कस्टडी में 5 साल हो चुके हैं। उन पर गंभीर आरोप हैं, लेकिन केवल इस आधार पर उन्हें जमानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने मामले की सुनवाई की।
बचाव पक्ष के वकील का कहना है कि गोंजाल्वेस और फरेरा अगले हफ्ते ही जेल से बाहर आ पाएंगे, क्योंकि औपचारिकताओं में थोड़ा वक्त लगेगा। सुप्रीम कोर्ट से अभी बेल ऑर्डर नहीं आया है। जैसे ही ये ऑर्डर मुंबई की NIA कोर्ट को मिलेगा, उनकी रिहाई की कंडीशंस तय की जाएंगी।

जनवरी 2018 में भीमा कोरेगांव वॉर मेमोरियल में हिंसा भड़क गई थी। (फाइल फोटो)
5 साल से जेल में थे गोंजाल्वेस और फरेरा
गोंजाल्वेस और फरेरा को 2018 में गिरफ्तार किया गया था। तभी से वे मुंबई की तलोजा जेल में थे। बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत नामंजूर होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
दोनों ने कहा था कि हाईकोर्ट ने उनकी बेल एप्लीकेशन को खारिज कर दिया, जबकि सह-आरोपी सुधा भारद्वाज को जमानत दे दी।
सुप्रीम कोर्ट की 5 शर्तें
- दोनों आरोपी महाराष्ट्र नहीं छोड़ सकते हैं।
- दोनों आरोपियों के पास एक-एक मोबाइल रहेगा।
- मोबाइल फोन कभी स्विच्ड ऑफ नहीं होगा।
- अपनी लोकेशन भी हमेशा ऑन रखेंगे।
- आरोपियों का फोन इस केस के इंचार्ज NIA अफसर से पेयर रहेगा।
मामले में कितने लोग अरेस्ट हुए थे और कितनों को जमानत?
भीमा-कोरेगांव मामले में 16 लोगों (ज्यादातर एक्टिविस्ट और एकेडमीशियंस) को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से वर्तमान में 3 लोग जमानत पर बाहर हैं। विद्वान और एक्टिविस्ट आनंद तेल्तुंब्डे और वकील सुधा भारद्वाज को रेग्युलर बेल मिली हुई है, जबकि तेलुगु कवि वरवर राव (82) स्वास्थ्य कारणों के आधार पर जमानत मिली है।
एक अन्य आरोपी और मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर घर में नजरबंद रखा गया है।
क्या है भीमा कोरेगांव मामला?
1 जनवरी 2018 को महाराष्ट्र में पुणे के भीमा कोरेगांव में एल्गर परिषद के बैनर तले हुए कार्यक्रम के दौरान हिंसा हुई थी। इसमें एक युवक की मौत हुई थी। इस केस में वामपंथी वरवर राव, सुधा भारद्वाज, स्टेन स्वामी, वेरनन गोंजाल्वेज, गौतम नवलखा और अरुण फरेरा समेत 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इन सभी पर जातीय हिंसा भड़काने का आरोप था। NIA ने इन पर ISI और नक्सलियों से संबंध होने का आरोप भी लगाया था।
यह कार्यक्रम 1818 में दलित बहुल सेना की पेशवा गुट पर हुई जीत की 200वीं वर्षगांठ के मौके पर रखा गया था।
1818 के युद्ध में मराठाओं की हार हुई थी
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा के पेशवा गुट के बीच 1 जनवरी 1818 को युद्ध हुआ था। ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना को उस समय के अछूत माने जाने वाले महार समुदाय के सैनिकों का समर्थन मिला था। उन्होंने अंग्रेजों की तरफ से लड़ाई लड़ी। युद्ध में मराठाओं की हार हुई थी।
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