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इंफाल3 मिनट पहले
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यह तस्वीर मणिपुर के नेशनल हाईवे नंबर 102 की है। महिलाओं ने पत्थरों से इसे जाम कर रखा है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को केंद्र और मणिपुर सरकार से पूछा कि हिंसा शुरू होने के बाद अब तक कितनी FIR दर्ज की गई हैं। CJI मणिपुर में निर्वस्त्र घुमाई गईं दो पीड़ित महिलाओं की याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं।
याचिककर्ताओं ने कोर्ट मामले की निष्पक्ष जांच की अपील की है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकिल इंदिरा जय सिंह ने एक हाई पावर कमेटी से जांच कराए जाने की डिमांड की। उन्होंने कहा कि महिलाएं अपनी बात कहने के लिए महिलाओं के सामने ही सहज होंगी। हम नहीं जानते कि CBI के सामने वो आएंगी या नहीं।
CJI चंद्रचूड़ ने कहा- एक वीडियो सामने आया, लेकिन यह महिलाओं के खिलाफ अपराध की इकलौती घटना नहीं है। ऐसा दूसरी महिलाओं के साथ भी हुआ। हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा जैसे गंभीर मसले के लिए एक मैकेनिज्म बनाना होगा।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जेबी पादरीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही है। पिटीशन में पीड़ित महिलाओं की पहचान जाहिर नहीं की गई है। उन्हें X और Y नाम से संबोधित किया गया है।
कोर्ट रूम LIVE
सुप्रीम कोर्ट: हम दोनों पक्षों की बात सुनेंगे और उसके बाद कदम उठाएंगे। हमारे पास अभी कोई ठोस रिकॉर्ड नहीं है। पहले हम याचिकाकर्ताओं को सुनेंगे और इसके बाद अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल की बात सुनेंगे।
याचिकाकर्ता: वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह साफ है कि पुलिस उन लोगों के साथ मिलकर काम कर रही है, जो महिलाओं के खिलाफ हिंसा की साजिश कर रहे हैं। पुलिस इन महिलाओं को ले गई और भीड़ में छोड़ दिया। इसके बाद भीड़ ने वो किया, जो सामने आया है।
दोनों में से एक के पिता और भाई को कत्ल कर दिया गया। अभी तक उन्हें बॉडी नहीं मिली है। जीरो FIR दर्ज की गई और वो भी 18 मई को। जब कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की तो कुछ हुआ। हमारे पास अब किसका भरोसा है? ऐसी कई घटनाएं हुई हैं। इस मामले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।
याचिकाकर्ता: वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा कि केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक 595 FIR दर्ज की गई हैं। इनमें से कितनी सेक्सुअल वॉयलेंस की हैं, कितनी आगजनी, हत्या की हैं। यह अभी स्पष्ट नहीं है। जहां तक कानून का सवाल है, रेप विक्टिम इस बारे में बात नहीं कर ही हैं। वो अभी तक अपने दुख से बाहर नहीं आ पाई हैं।
सबसे जरूरी चीज भरोसा पैदा करना है। CBI जांच शुरू करती है तो अभी हम यह नहीं जानते हैं कि महिलाएं सामने आएंगी। महिलाएं पुलिस की बजाय महिलाओं से ही बात करने में ज्यादा सहज महसूस करेंगी। इसके लिए एक हाईपावर कमेटी बनाई जाए और उसमें ऐसी महिलाओं को शामिल किया जाए जिन्हें इस तरह के मामलों का अनुभव हो।
केंद्र सरकार: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट यह मामला देखता है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है।

मणिपुर में म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों का बायोमीट्रिक डाटा लिया जा रहा है।
कुकी महिलाओं ने जाम किया नेशनल हाईवे
आदिवासी इलाकों में अलग प्रशासन की मांग को लेकर कुकी महिलाओं ने नेशनल हाईवे नंबर 102 को पिछले पांच दिन से जाम कर रखा है। कुकी संगठनों की हजारों महिलाओं ने टेंग्नोउपाल में सेना के दस वाहनों को मोरेह जाने से रोक दिया। जिसके बाद सैनिकों को एयरलिफ्ट कर मोरेह भेजना पड़ा।
नेशनल हाईवे 102 इंफाल को म्यांमार सीमा से सटे मोरेह से जोड़ता है। कुछ दिन पहले म्यांमार से मणिपुर में 718 अवैध प्रवासी इसी रास्ते से घुसे थे। सरकार अब अवैध प्रवासियों की बायोमीट्रिक काउंटिंग करा रही है।
आदिवासी संगठनों का कहना है कि बायोमीट्रिक काउंटिंग के नाम पर सरकार कुकी आदिवासियों के मोरेह शहर में मैतेई समुदाय के सुरक्षाबलों की तैनाती कर रही है। इंडिजिनस ट्राइबल्स लीडर्स फोरम (ITLF) ने कहा है कि अगर 31 जुलाई शाम 6 बजे तक मोरेह से मैतेई सिक्योरिटी फोर्सेज को नहीं हटाया जो प्रदर्शन करेंगे।
बिष्णुपुर में फिर हिंसा, 9 साल की छात्रा गोली लगने से घायल
मणिपुर के बिष्णुपुर में रविवार (30 जुलाई) को फिर हिंसा भड़क गई। क्वाक्ता गांव में कुकी और मैतेई समुदाय के लोगों में फायरिंग से 9 साल की छात्रा गंभीर रूप से घायल हो गई। चुराचांदपुर में भी हिंसा की घटनाएं हुईं।

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी समेत 21 सांसद रविवार दोपहर मणिपुर से दिल्ली लौट आए।
कल I.N.D.I.A गठबंधन मणिपुर से लौटा था, जानें किसने-क्या कहा…
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी: सरकार स्थिति को समझ नहीं रही है, म्यांमार के साथ केवल 75KM सीमा पर बाड़ लगाई गई है और उसके बाद चीन है। यह चिंताजनक स्थिति है। मैं राजनीति नहीं कर रहा हूं। यह अब देश के लिए चिंता का विषय है।
TMC की सुष्मिता देब: मणिपुर में स्थिति काफी गंभीर है। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को इस्तीफा देना चाहिए।
RJD सांसद मनोज झा: हम चाहते हैं कि मणिपुर में शांति बहाल हो। हमारी एकमात्र मांग है कि दोनों समुदाय सद्भाव से रहें। मणिपुर में स्थिति पीड़ादायक है। संसद में पहले ही चर्चा हो चुकी है कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मणिपुर का दौरा करना चाहिए। –
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई: NDA गठबंधन और PM मोदी को भी मणिपुर का दौरा करना चाहिए। उनके मंत्री दिल्ली में बैठकर बयान दे रहे हैं। उन्हें वहां की जमीनी हकीकत देखने के लिए वहां जाना चाहिए।

विपक्षी दलों के 21 सांसदों ने रविवार को मणिपुर की गवर्नर अनुसुया उइके से मुलाकात की।
I.N.D.I.A के 21 सांसदों ने मणिपुर की गवर्नर अनुसुइया उइके से मुलाकात की। मुलाकात के बाद सांसदों ने अपने हस्ताक्षर वाली एक चिट्ठी उन्हें सौंपी। मांग की है कि राज्यपाल सरकार से कहें कि राज्य में हो रही हिंसा को लेकर जरूरी कदम उठाए जाएं। विपक्षी सांसदों ने कहा कि इस मामले पर प्रधानमंत्री की चुप्पी दिखाती है कि वो गंभीर नहीं हैं।
मणिपुर में 16 जिले, सबसे ज्यादा हिंसा इंफाल, चुराचांदपुर और कांगपोकपी में…

मणिपुर हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा मौतें
मणिपुर हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें 3-5 मई के बीच 59 लोग, 27 से 29 मई के बीच 28 लोग और 13 जून को 9 लोगों की हत्या हुई थी। 16 जुलाई से लेकर 27 जुलाई तक हिंसा नहीं हुई थी, लेकिन पिछले दो दिनों से हिंसक झड़प की घटनाएं बढ़ गई हैं।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतेई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नगा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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22 जुलाई को भास्कर रिपोर्टर मणिपुर हिंसा के एपिसेंटर चुराचादंपुर में कुकी महिलाओं से मिलकर लौट रहे थे। इंफाल की तरफ 10 Km चले थे कि दूर एक इमारत में आग लगी नजर आई। वहां पहुंचे तो एक गोली करीब से सनसनाती हुई निकल गई। हमारी तरफ फायरिंग होने लगी। हमने छिपने के लिए दीवार की तरफ भागे। पूरी खबर पढ़ें…
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‘हम पुलिस की गाड़ी में थे। लगा था, वो हमें बचा लेंगे। मैतेई लड़कों की भीड़ ने गाड़ी को घेर लिया। हमें उतारकर इधर-उधर छूने लगे। उन्होंने कहा- जिंदा रहना है, तो कपड़े उतारो। हमने मदद के लिए पुलिसवालों की तरफ देखा, उन्होंने मुंह फेर लिया। फिर हमने कपड़े उतार दिए….’। ये कहना है मणिपुर में निर्वस्त्र की गई 21 साल की पीड़ित का। पूरी खबर पढ़ें…
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मणिपुर में हिंसा शुरू हुए ढाई महीने से ज्यादा हो चुके हैं। जल चुके 120 से ज्यादा गांव, 3,500 घर, 220 चर्च और 15 मंदिर हिंसा की निशानी के तौर पर खड़े हैं। इस तबाही में खाली स्कूल और खेत भी जुड़ चुके हैं। अब स्कूलों के खुलने का वक्त है और खेतों में बुआई का। पूरी खबर पढ़ें…