हालांकि हाल के वर्षों में भारत की रफ्तार लगातार इतनी ज्यादा नहीं रही है। इतना ही नहीं इस लक्ष्य पर पहुंचने के लिए जापान और जर्मनी की रफ्तार स्लो बनी रहनी चाहिए। अभी जापान दुनिया की तीसरी और जर्मनी चौथी सबसे बड़ी इकॉनमी हैं। 2022 में जापान की इकॉनमी सिकुड़कर पांच ट्रिलियन से नीचे आ चुकी है। 2027 तक इसमें और गिरावट आने की आशंका है। जीडीपी रैंकिंग में भारत की उड़ान को कोई नहीं रोक सकता है लेकिन लो पर कैपिटा जीडीपी देश के लिए चिंताजनक है। यह समृद्धि का बेहतर इंडिकेटर माना जाता है। दुनिया की टॉप 10 इकॉनमीज में भारत का जीडीपी पर पर्सन सबसे कम है।
पर कैपिटा जीडीपी
डॉलर टर्म में बात करें तो 2014 में हर भारतीय औसतन 1560 डॉलर कमाता था जबकि अमेरिका में यह आंकड़ा 55,084 डॉलर यानी 35 गुना ज्यादा था। इसी तरह जर्मनी में यह इनकम भारत से 31 गुना, ब्रिटेन में 30 गुना और फ्रांस, जापान और इटली में 20 गुना से भी ज्यादा थी। यहां तक कि पड़ोसी देश चीन के लोगों की कमाई भारतीयों से पांच गुना अधिक है। इसमें कोई शक नहीं है कि 2027 तक यह अंतर कम हो जाएगा लेकिन भारत को पर कैपिटा इनकम के मामले में टॉप के देशों में शामिल होने पर फोकस करना चाहिए।
अमीर देश के गरीब लोग
भारत की जीडीपी फ्रांस और यूके से अधिक है लेकिन पर कैपिटा जीडीपी के मामले में यह यमन, जिम्बाब्वे और पाकिस्तान जैसे देशों के आसपास है। 2014 में जब भारत दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी इकॉनमी था तो पर कैपिटा डेटा के मुताबिक इसकी रैंकिंग 195 में से 157वें स्थान पर था। 2027 में इसके 189 देशों में 138वें नंबर पर पहुंचने का अनुमान है। 2027 में बांग्लादेशियों की इनकम भारतीयों से ज्यादा होगी। आईएमएफ के अनुमानों के मुताबिक 2027 में भारतीयों की एवरेज सालाना पर कैपिटा जीडीपी 3,466 डॉलर होगी जबकि बांग्लादेशियों की 3,748 डॉलर होगी।