जन्माष्टमी पर 6 सितंबर को बुधवार, चंद्रमा का वृषभ राशि में होना, अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र का एकसाथ संयोग बना है. द्वापर युग में इसी संयोग में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. ऐसे में आज व्रती को कान्हा की पूजा का पूर्ण लाभ मिलेगा. इसके साथ ही आज पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, जयंती योग, रवि योग और बुधादित्य योग भी रहेगा.
जन्माष्टमी की रात 12 बजे डंठल वाला खीरा काटने को श्रीकृष्ण के जन्म का प्रतीक माना जाता है. कहते हैं जिस तरह प्रसव के दौरान गर्भनाल काटकर बच्चे को मां से अलग किया जाता है उसी तरह जन्माष्टमी पर डंठल वाले खीरे को काटकर कृष्ण का जन्म कराया जाता है. मान्यता है कि इस कटे हुए खीरे को गर्भवती को खिलाने से सुयोग्य और सुंदर संतान पैदा होती है.
जन्माष्टमी के दिन कान्हा की प्रिय चीजों का भोग पूजा में जरुर लगाएं. श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री के अलावा धनिए की पंजीरी, मखाने की खीर, सूजी का हलवा, पंचमेवा, खीरे का भोग जरुर लगाएं. मान्यता है इससे बाल गोपाल प्रसन्न होकर व्रती का जीवन सुखमय बना देते हैं, उसकी जिंदगी में अन्न, धन की कभी कमी नहीं होती.
श्रीकृष्ण पूजा का समय – 6 सितंबर 2023,रात्रि 11.57 – 07 सितंबर 2023, प्रात: 12:42
पूजा अवधि – 46 मिनट
रोहिणी नक्षत्र – 6 सितंबर, सुबह 09.20 – 7 सितंबर, सुबह 10.25
जन्माष्टी की पूजा के लिए कान्हा जी की मूर्ति, झूला या सिंहासन, मोरपंख, बांसुरी, गाय की प्रतिमा, वैजयंती माला, फूल, माखन, मिश्री, तुलसी पत्ता, वस्त्र, चंदन, फूल, पंचामृत, गंगाजल, धनिया पंजीरी, खीरा, मुकुट, गोपी चंदन, लौंग, इलायची, इत्र, पंचमेवा, अक्षत, आभूषण, हल्दी, केसर, कुमकुम
कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रुप में मनाया जाता है. जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है. इस दिन को भगवान के जन्मोत्सव के रुप में मनाया जाता है. इस दिन लोग व्रत रखते हैं. उनकी पूजा-अर्चना करते हैं.
भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र के समय श्रीकृष्ण जी का जन्म हुआ था.
जन्माष्टमी के व्रत में दूध और दही से बनी चीजों का सेवन आप कर सकते हैं. इस व्रत में आप पानी भी पी सकते हैं. कुछ लोग इस व्रत में अन्न-जल त्याग देते हैं.
- फलों में केला, सेब और संतरा आदि को खा सकते हैं.
- जन्माष्टमी के व्रत में मखाने को भी सेवन किया जा सकता है.
- मखाने शरीर को ऊर्जा देने के साथ शरीर की कमजोरी को भी दूर करता है.
- लड्डू गोपाल जी को अपने घर के सदस्य की तरह रखा जाता है.
- कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सबसे पहले नहलाकर इन्हें पीले, हरे, लाल,मोरपंख से बने वस्त्र या फिर फूलों वाले वस्त्र पहनाएं.
- बांसुरी कान्हा की बेहद प्रिय है. बांसुरी के बिन बाल गोपाल का श्रृंगार अधूरा होता है.
- श्री कृष्ण को मोरपंख अतिप्रिय है. जन्माष्टमी के दिन उन्हें मोर मुकुट जरूर पहनाना चाहिए.
- इसके बाद उनके माथे पर रोली और चंदन का टीका लगाएं.
- जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को मोतियों की या फिर वैजयंती की माला जरूर पहनानी चाहिए.
- लड्डू गोपाल के कानों में सोने, चांदी या मोती से बने कुंडल जरूर पहनाना चाहिए.
इस दिन एक पान का पत्ता श्रीकृष्ण को अर्पित करें. इसके बाद इस पत्ते पर रोली से श्री यंत्र लिखें और तिजोरी या फिर धन के स्थान पर रख दें. नौकरी में पदोन्नति और आमदनी में बढ़ोत्तरी की इच्छा पूर्ति के लिए जन्माष्टमी पर 7 कन्याओं को खीर या सफेद मिठाएं बांटे. ये उपाय जन्माष्टमी के दिन से शुरू कर लगातार पांच शुक्रवार तक करें.
- हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे।।
- श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा।।
- ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे। सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि।।
- ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय।।
आज 6 सितंबर को अष्टमी तिथि दोपहर 3 बजकर 38 मिनट से अगले दिन यानी 7 सितंबर दोपहर शाम बजकर15 मिनट तक रहेगी. आज रोहिणी नक्षत्र सुबह 9 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर 7 सितंबर को सुबह 10 बजकर 25 मिनट तक है. श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रात के आठवें मुहूर्त में हुआ था. इसलिए रात 12 बजे कृष्ण जन्मोत्सव शुरू होता है. ये मुहूर्त इस बार 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक है. जन्माष्टमी की पूजा इस शुभ मुहूर्त में की जा सकती है.
जन्माष्टमी की पूजा थाली को चावल, मोतियों और फूलों से सजाना चाहिए. इस पर कान्हा की पसंद की चीजें जैसे मोर पंख, बासुरी, उनका मनचाहा भोग, फूल और पूजा की सामग्री रखें. इसके बाद पूरी श्रद्धा के साथ कृष्ण भगवान का पूजन करें.
आज भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष सप्तमी तिथि, कृतिका नक्षत्र, हर्शन योग, बव करण, चन्द्र राशि वृषभ और बुधवार दिन है. आज सर्वार्थ सिद्धि योग में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है. आज रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ रोहिणी नक्षत्र का संयोग है.
देश भर में आज जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है. इस साल अष्टमी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 03.37 से शुरू होकर 7 सितंबर को शाम 04.14 मिनट तक रहेगी. ऐसे में जन्माष्टमी का पर्व 6-7 सितंबर दोनों दिन मनाया जाएगा. श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में जन्माष्टमी आज ही मनाई जा रही है.
बैकग्राउंड
Janmashtami 2023: देश भर में आज जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है. इस साल कृष्ण जन्मोत्सव पर अष्टमी तिथि 6 सितंबर 2023 को दोपहर 03.37 से 7 सितंबर को शाम 04.14 मिनट तक रहेगी. ऐसे में जन्माष्टमी का पर्व 6-7 सितंबर दोनों दिन मनाया जाएगा. भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग में मनाया जाता है. जन्माष्टमी के दिन भक्त बाल-गोपाल की पालकी सजाते हैं और पूरी श्रद्धा भाव से उनका श्रृंगार करते हैं.
श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में जन्माष्टमी 6 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी. यहां जन्माष्टमी की रौनक बहुत खास होती है. बांके बिहारी के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी होती है.
कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
श्रीकृष्ण पूजा का समय – 6 सितंबर 2023,रात्रि 11.57 – 07 सितंबर 2023, प्रात: 12:42
पूजा अवधि – 46 मिनट
मध्यरात्रि का क्षण – प्रात: 12.02
इसके अलावा 6 सितम्बर यानी आज सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है और चंद्रमा वृषभ राशि, रोहिणी नक्षत्र, बुधवार होने से एक विशेष योग बन रहा है. यह शुभ योग 30 सालों के बाद बन रहा है. इसीलिए इस वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी सुख, समृद्धि और मनोवांछित फल देने वाली मानी जा रही है.
इस तरह करें भगवान कृष्ण की पूजा
शंख में स्वच्छ जल भरकर कान्हा की मूर्ति को स्नान कराएं. स्नान के बाद उन्हें साफ और नए वस्त्र पहनाएं. चंदन और आभूषण से उनका श्रृंगार करें. कान्हा जी के लिए मोरमुकुट, मोरपंख, उनकी प्रिय बांसुरी और माला जरूर पहनाएं. श्रृंगार के बिना श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है. कान्हा की पूजा करें और आरती जरूर उतारें. इसके बाद माथे पर टीका लगाएं. कान्हा जी को उनके पसंदीदा माखन, दही, मिश्री और खीर का भोग लगाएं.