Kapil Sibal First Reaction On Rahul Gandhi Defamation Case Modi Surname Case Supreme Court


Delhi News: पीएम नरेंद्र मोदी सरनेम मामले में चार जुलाई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की सजा पर रोक लगने के बाद राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल (Kapil sibal) ने लोकसभा स्पीकर को नेक सलाह दी है. उन्होंने कहा है कि मोदी सरनेम का मामला एक राजनीतिक एजेंडा है. इस मामले को कानूनी प्रक्रिया में लाना अदालतों का दुरुपयोग है. राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर भाषण कर्नाटक में दिया था. जबकि याचिका गुजरात में दायर की गई. यहां तक की न्यायाधीश को भी पता था कि यदि सजा दो साल से कम होती तो उनकी लोकसभा सदस्यता समाप्त नहीं होती. 

इस मसले पर कपिल सिब्बल ने स्पीकर साबह से कहा है कि सोमवार को राहुल गांधी की सदस्यता बहाल कर देनी चाहिए. अदालतों का दुरुपयोग केवल राहुल गांधी के केस में नहीं हो रहा है. अभी तक ऐसा कई मामले में हो चुका है. सपा नेता आजम खान का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके मामले में भी यही हुआ. कोर्ट का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. क्रिमिनल डिफेमेशन खत्म होना चाहिए. किसी को जेल में भेजने का कोई मतलब नहीं है. 

सरनेम सियासी मसला

कपिल सिब्ब्ल का कहना है कि यह एक राजनीतिक मसला है. जज साहब ने भी सजा दो साल का दिया. अगर एक दिन भी कम की सजा देते तो राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त नहीं होती, पर उन्होंने वैसा नहीं किया. दरअसल, याचिका डालने वाले कोर्ट के जरिए सियासी लाभ उठाना चाहते हैं, ताकि प्रभावी नेताओं को अदालती चक्कर में उलझाकर में बिजी रखा जा सके. साथ ही इसका चुनावी फायदा उठाना संभव हो सके. बता दें कि दो दिन पहले कपिल सिब्बल ने हरियाणा के नूंह हिंसा मसले पर हिंदूवादी संगठनों के नेताओं पर तंज कसा था. उन्होंने कहा था कि नूंह हिंसा को लेकर सभी को ​विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल से सवाल पूछने की जरूरत है? उन्होंने पूछा है कि क्या विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल सांप्रदायिक हिंसा के एक समान फैक्टर हैं? बीजेपी के शीर्ष अधिकारी सांप्रदायिक नरसंहार के ऐसे कृत्यों पर चुप क्यों रहते हैं? आखिरी सवाल यह पूछा था कि इससे किसका लाभ होता है?

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