What Is Wrong With Garlanding Bilkis Bano Case convicts Additional Solicitor General – India Hindi News – बिलकिस के बलात्कारियों को पहनाई गई थी माला, SC में बोले सरकारी वकील


सुप्रीम कोर्ट में सरकारी वकील ने बिलकिस बानो के बलात्कारियों को माला पहनाकर स्वागत किए जाने का बचाव किया है। बिलकिस बानो केस की सुनवाई के दौरान भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि “जेल से बाहर आने वाले परिवार के किसी सदस्य को माला पहनाने में क्या गलत है?” उनकी ये टिप्पणी सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह की एक दलील पर आई।

बता दें कि न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका और कई अन्य जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इन याचिकाओं में गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों को सजा में छूट देने के फैसले को चुनौती दी गई है। 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में इन दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। लेकिन दोषियों को सजा में छूट के बाद 15 अगस्त, 2022 को रिहा कर दिया गया था और बिलकिस को इसके बारे में तब पता चला जब उन्होंने जेल से बाहर आते ही जश्न मनाया।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह एक जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुई थीं। उन्होंने शीर्ष अदालत को दोषियों की रिहाई पर स्वागत करने के तरीके के बारे में बताया। जयसिंह ने कहा, उन्हें “(बिलकिस के बलात्कारियों को) माला पहनाई गई और सम्मानित किया गया। बयान दिए गए कि वे ब्राह्मण हैं और ऐसे अपराध नहीं कर सकते। इस बात से इनकार किया गया है कि अपराध किया गया था।” इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पूछा, “जेल से बाहर आने वाले परिवार के किसी सदस्य को माला पहनाने में क्या गलत है?” बता दें कि भारत सरकार याचिकाओं में प्रतिवादी है क्योंकि मामले की जांच सीबीआई द्वारा की गई थी।

फिलहाल उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि वह 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में जनहित याचिका दायर करने वाले कई लोगों के ‘हस्तक्षेप के अधिकार (लोकस स्टैंडाई)’ पर नौ अगस्त को दलीलें सुनेगा। बिलकिस बानो की ओर से दायर याचिका के अलावा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा)की नेता सुभाषिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लाल और लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा सहित कई अन्य ने जनहित याचिका दायर करके दोषियों की सजा में छूट को चुनौती दी है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा ने भी सजा में छूट के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है।

शीर्ष अदालत को सोमवार को सुनवाई के दौरान बताया गया था कि बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के दोषियों के सिर पर मुसलमानों को शिकार बनाने और उन्हें मारने के लिए “खून सवार” था। इस मामले के सभी 11 दोषियों की सजा में पिछले साल छूट दे दी गई थी, जिसे न्यायालय में चुनौती दी गयी है और इसी के तहत सोमवार को अंतिम सुनवाई शुरू हुई थी। शीर्ष अदालत ने 18 अप्रैल को 11 दोषियों को दी गई छूट पर गुजरात सरकार से सवाल किया था और कहा था कि नरमी दिखाने से पहले अपराध की गंभीरता पर विचार किया जाना चाहिए था। न्यायालय ने आश्चर्य भी जताया था कि क्या इस मामले में विवेक का इस्तेमाल किया गया था। ये सभी दोषी 15 अगस्त, 2022 को जेल से रिहा कर दिये गये थे।

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