राष्ट्रीय महासचिव: क्यों गए, क्यों आए
राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि : कर्नाटक विधानसभा में अपना ही चुनाव सी टी रवि हार गए थे. वह विधानसभा चुनाव के समय बी. एस. येदियुरप्पा से भिड़ भी गए थे. हालांकि, वह बी. एल. संतोष के करीबी माने जाते हैं. लेकिन कहा जाता है कि वह महासचिव के तौर पर छाप छोड़ने में नाकाम रहे. शायद यही वजह रही कि उन्हें अब जाना पड़ा है.
दिलीप सैकिया : संगठन के इस कदम को क्षेत्रीय संतुलन बैठाने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है. नए चेहरों को मौका देने की सोच भी इस बदलाव के पीछे की वजह है.
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष: क्यों गए, क्यों आए
दिलीप घोष: इनकी बयानबाजी पर अंकुश नहीं लग पा रहा.
भारतीबेन शायल: क्षेत्रीय संतुलन की कवायद
सचिव: राष्ट्रीय उपाध्यक्ष: क्यों गए, क्यों आए
हरीश द्विवेदी: क्षेत्रीय संतुलन की कवायद
सुनील देवधर: दूसरी जिम्मेदारी मिलेगी
विनोद सोनकर: क्षेत्रीय संतुलन की कवायद
क्यों आए, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
लक्ष्मीकांत वाजपेयी
-पश्चिमी यूपी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा
-लंबे समय से हाशिए पर थे
लता उसेंडी
– छत्तीसगढ़ बीजेपी का प्रमुख चेहरा
– चुनावी राज्य की महिला नेता
तारिक मंसूर
– मुस्लिम जगत में बड़ा नाम
– हाल तक एएमयू के वाइस चांसलर थे
– बीजेपी संघ के नेताओं से नजदीकी
महासचिव बंदी संजय कुमार
– तेलंगाना बीजेपी के अध्यक्ष के तौर पर प्रभावी काम
– गुटबाजी के चलते प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए थे
– पहले राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य और अब राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी
राधा मोहन अग्रवाल
– लगातार पंद्रह साल गोरखपुर शहर विधायक रहे
– योगी आदित्यनाथ के लिए छोड़ी सीट
– हाल में राज्य सभा भी भेजे गए
सचिव
कामाख्या प्रसाद ताला
– सीएम हिमंता बिस्वा सरमा के बेहद करीबी
– बतौर सांसद प्रभावी काम
सुरेंद्र सिंह नागर
– बीएसपी से बीजेपी में आए
– अनुच्छेद 370 में मतदान के समय दिया साथ
– पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ताकतवर नेता
अनिल एंटनी
– पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी के बेटे
– हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए
– केरल में पैर पसारने में बीजेपी को मिलेगी मदद
भाजपा संगठन में प्रभारी और सह-प्रभारियों की भूमिका अहम होती है। वे पार्टी की प्रदेश इकाई और केंद्रीय नेतृत्व के बीच कड़ी का काम करते हैं.